Friday, 9 February 2024

एक नाकाम कोशिश

 तुम्हे चाहना जितना आसान है,

भूलना इतना ही मुश्किल।


चाहत खुद आती है मन में,

कई ख्याल लाती है।


और तुम्हे भूलना मानो नामुमकिन सा सफर,

तुम्हारी यादें मन से निकलना वैसे है मानो काट कर कोई अंग अलग कर रहे हो।

तो कैसे भूलाई मैं तुम्हें,

याद करूँ तो भी तकलीफ ही होती है।


प्यार नहीं मुझे तो इश्क़ हो गया,

इस क़दर इस तरह जिसे भूलकर भी भुला नहीं सकती।


एहसास ऐसा तो शायद पहली बार ही हुआ,

किसी के लिए ये दिल इस बार ही तड़पा।

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