जब याद तुम्हारी आती है , आँखें बंद कर लेती हूँ,
वो पल जो साथ जिए तुम्हारे, उन्हें याद कर लेती हूँ।
जब मन भरता नहीं, तस्वीर तुम्हारी देखती हूँ,
कभी मुस्कुराकर, कभी नाराज़गी से बात कर लेती हूँ।
तुमसे अच्छी तस्वीर तुम्हारी, जिससे दिल की बातें कर सकती हूँ।
वो तस्वीर तो फ़ोन की गैलरी में है, लेकिन जो पल हमने साथ जिए, वो मेरे दिल के हर कोने में हैं।
संभाल कर रखा है उन्हें, किसी अमानत की तरह. फ़ोन से तो मिटाया जा सकता है, लेकिन दिल से कैसे मिटाऊं।
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