Friday, 9 February 2024

एक नाकाम कोशिश

 तुम्हे चाहना जितना आसान है,

भूलना इतना ही मुश्किल।


चाहत खुद आती है मन में,

कई ख्याल लाती है।


और तुम्हे भूलना मानो नामुमकिन सा सफर,

तुम्हारी यादें मन से निकलना वैसे है मानो काट कर कोई अंग अलग कर रहे हो।

तो कैसे भूलाई मैं तुम्हें,

याद करूँ तो भी तकलीफ ही होती है।


प्यार नहीं मुझे तो इश्क़ हो गया,

इस क़दर इस तरह जिसे भूलकर भी भुला नहीं सकती।


एहसास ऐसा तो शायद पहली बार ही हुआ,

किसी के लिए ये दिल इस बार ही तड़पा।

Thursday, 8 February 2024

जब याद तुम्हारी आती है

 जब याद तुम्हारी आती है , आँखें बंद कर लेती हूँ,

वो पल जो साथ जिए तुम्हारे, उन्हें याद कर लेती हूँ।


जब मन भरता नहीं, तस्वीर तुम्हारी देखती हूँ,

कभी मुस्कुराकर, कभी नाराज़गी से बात कर लेती हूँ।


तुमसे अच्छी तस्वीर तुम्हारी, जिससे दिल की बातें कर सकती हूँ।

वो तस्वीर तो फ़ोन की गैलरी में है, लेकिन जो पल हमने साथ जिए, वो मेरे दिल के हर कोने में हैं।


संभाल कर रखा है उन्हें, किसी अमानत की तरह. फ़ोन से तो मिटाया जा सकता है, लेकिन दिल से कैसे मिटाऊं।



एक सवाल खुद से?

 इंतज़ार कर रहे हो जिसका तुम, उसके आने पर उसके नहीं हो पाओगे, तो किसकी इंतज़ार में रातें बिताओगे? जहां जाना था तुम्हें, वहां जाकर भी सुकून न...