फिर से किसी का खयाल आ रहा है दिल में,
लगता है मुझे फिर से प्यार हो रहा है.
प्यार भी है और चाहत भी, खौफ भी है टूटने का और जज्बा भी बेखौफ उठने का।
सुनो, पसंद हो तुम मुझे, अगर पूछो की तुमने क्या, तो सुनो।
पसंद है मुझे तुम्हारी शरारती आँखें,
तुम्हारी बेहकी-बेहकी सी बातें,
तुम्मे तुम्हारा ख्याल और खयालों में खोने का एहसास.
मेरे उलझे सवालों के सुलझे जवाब हो तुम,
मेरी बेचैनी के पीछे का बवाल हो तुम.
समझ नहीं आता क्या बयाँ करूं मैं,
खयालों में तुम्हारा साथ का एहसास
या फिर साथ में तुम्हारे खयालों का एहसास.
मेरी अधूरी सी कविता की तरह हो तुम जिसे मैं पूरा करना तो चाहती हूँ,
पर अल्फ़ाज़ नहीं मिलते।
पूछा तुमने की याद नहीं आती क्या।
अब क्या कहूँ तुमसे, तुम्हे याद किए बिना तो नींद भी नहीं आती.
मेरी कुछ अनकही बातें दिल से होकर लफ़्ज़ों पर आते आते ही रुक जाती हैं.
बयां नहीं कर पाती तो आँखों से होकर गुज़र जाते हैं।
रात में सोने से पहले वाली याद हो तुम और सुबह जिसके साथ उठी वो एहसास हो तुम।
मेरी बंद आँखों का ख्वाब हो तुम। मेरी ज़िंदगी का एक राज़ हो तुम।
जो पूछा तुमने की दिल में जो है वो कहो तो सुनो,
दिल में हो तुम, तुम्हारी यादें, तुम्हारी बातें, हमारी मुलाकातें और उस मुलाकात में होने वाली बातें।
अब भी पूछोगे क्या दिल में क्या है?
यकीन ना हो तो हाथ थामो मेरा, तुम्हें मेरे दिल तक ले चलूँगी।
आंखें बंद करके तुम्हें तुमसे मिलाने ले चलूँगी।
तुम्हारे साथ से नहीं, मुझे तुम्हारे इंतज़ार से भी प्यार है।
सिर्फ़ बातों से नहीं, खयालों से भी प्यार है।
इज़हार अगर मैं करूँ तो लफ़्ज़ कम पड़ जाएंगे, मुझे तुम्हारे होने का एहसास से भी प्यार है।