मैंने खुद को भुला कर तुझे याद किया है
तू क्या जाने मेरे दिल का हाल
मैंने तेरे इंतज़ार में जीना बेहाल किया है।
एक ख्वाब हो तुम जो बंद आँखों में पास होता है और
आँखे खुलते ही यादों के सिवा कुछ न पास होता है ।
एक चाहत हो तुम जिसे मै पाना चाहती हुँ या फिर
मेरे लिए एक उपहार हो तुम।
मैं अगर जीतूँ तो मेरे सर का ताज हो तुम
हारूँ तो उस हार में भी साथ हो तुम।
मेरे बेवजह मुस्कुराने का राज़ हो तुम
खयालो में खोने का एहसास हो तुम।
मेरे सच का एक झूठ हो तुम
पर वो 'तुम ' हो कौन ?
कभी तो मिलो मुझसे
ख्वाबो में हकीकत बनकर या
हकीकत में किसी ख्वाब की तरह।
-ओजस्विता