Saturday, 3 February 2018

तुम

मैंने खुद को भुला कर तुझे याद किया है 
तू क्या जाने मेरे दिल का हाल 
मैंने तेरे  इंतज़ार में जीना बेहाल किया है। 
एक ख्वाब हो तुम जो बंद आँखों में पास होता है और 
आँखे खुलते ही यादों के सिवा कुछ न पास होता है ।
एक चाहत हो तुम जिसे मै  पाना चाहती हुँ या फिर 
मेरे लिए एक उपहार  हो तुम। 
मैं अगर जीतूँ  तो मेरे सर का ताज हो तुम 
हारूँ  तो उस हार में भी साथ हो तुम। 
मेरे बेवजह मुस्कुराने का राज़ हो तुम 
खयालो में खोने का एहसास हो तुम। 
मेरे सच का एक  झूठ हो तुम 
पर  वो 'तुम ' हो कौन ?
कभी तो मिलो मुझसे 
ख्वाबो में हकीकत बनकर या 
हकीकत में किसी ख्वाब की तरह। 
-ओजस्विता 

एक सवाल खुद से?

 इंतज़ार कर रहे हो जिसका तुम, उसके आने पर उसके नहीं हो पाओगे, तो किसकी इंतज़ार में रातें बिताओगे? जहां जाना था तुम्हें, वहां जाकर भी सुकून न...