Saturday, 3 February 2018

तुम

मैंने खुद को भुला कर तुझे याद किया है 
तू क्या जाने मेरे दिल का हाल 
मैंने तेरे  इंतज़ार में जीना बेहाल किया है। 
एक ख्वाब हो तुम जो बंद आँखों में पास होता है और 
आँखे खुलते ही यादों के सिवा कुछ न पास होता है ।
एक चाहत हो तुम जिसे मै  पाना चाहती हुँ या फिर 
मेरे लिए एक उपहार  हो तुम। 
मैं अगर जीतूँ  तो मेरे सर का ताज हो तुम 
हारूँ  तो उस हार में भी साथ हो तुम। 
मेरे बेवजह मुस्कुराने का राज़ हो तुम 
खयालो में खोने का एहसास हो तुम। 
मेरे सच का एक  झूठ हो तुम 
पर  वो 'तुम ' हो कौन ?
कभी तो मिलो मुझसे 
ख्वाबो में हकीकत बनकर या 
हकीकत में किसी ख्वाब की तरह। 
-ओजस्विता 

Friday, 5 January 2018

मैंने देखा है

मज़बूरी भी क्या चीज़ होती है 
इंसान को कहाँ से कहाँ ले जाती है.
बेबसी भी इतना दर्द देता है ,
ना चाहते हुए भी इंसान को जीने पर मजबूर करता है। 
हाँ मैंने देखा है ज़माने में,
रोते चेहरे को हँसकर दर्द  छुपते हुए ,
अपने अरमान  अपने सपनो का क़त्ल होते हुए,
सुख की चाहत में दुःख के दलदल में फसने  वालों  को। 
मजबूर इंसान के मज़बूरी को मुनाफा समझने वालों को ,
सर पर हाथ रखने का बहना कर कमर में हाथ डालने वालों को
हाँ मैंने देखा है , रिश्ते के नाम पर कई नए  रिश्ते बनाने वालों को
खामोशिया में सब कह देने वाली उन  निग़ाहों को। 
डर लगता है मुझे उस चीख से जो कभी सुनाई  ही नहीं देती 
डर लगता है मुझे उस दर्द से जो दिल में दफ़न रहता है
 शायद,कुछ ऐसे भी दर्द होते है जिनका  कभी जिक्र नहीं होता। 
-ओजस्विता  


एक सवाल खुद से?

 इंतज़ार कर रहे हो जिसका तुम, उसके आने पर उसके नहीं हो पाओगे, तो किसकी इंतज़ार में रातें बिताओगे? जहां जाना था तुम्हें, वहां जाकर भी सुकून न...